मैं बहुत चिंतित हूँ
हम क्या थे
और क्या हो गए हैं
सरल रास्तों पर कहाँ खो गए हैं
हम कुछ और हैं
अपने को समझते हैं कुछ और
स्वीकारते हैं कुछ और
दर्शाते हैं कुछ और
हम क्या हैं, हमें नहीं मालूम
हम अपने से बिलकुल अपरिचित हो गए हैं
मापदंड बनाये हमने अपने आदर्शों के
पूरे नहीं उतरे हम अपनी ही तराजू पर
हम पानी पर तैरते हुए टीन के खाली बंद डब्बे के समान
अन्दर से बिलकुल खोखले हो गए हैं
हे ज्योतिर्मये हम से हमारा साक्षात् करा दो
बहुत है अँधेरा दिया इक जला दो
आत्मा से उदभुद हरेक भाव पढ़ लें
पाठ कोई ऐसा हमको पढ़ा दो
आत्मचिंतन से हम विमुख हो गए हैं
अब हम हम नहीं हैं कुछ और हो गए हैं
मैं बहुत चिंतित हूँ
हम क्या थे
और क्या हो गए हैं
सरल रास्तों पर कहाँ खो गए हैं
गुरुदयाल अग्रवाल
हम क्या थे
और क्या हो गए हैं
सरल रास्तों पर कहाँ खो गए हैं
अपने को समझते हैं कुछ और
स्वीकारते हैं कुछ और
दर्शाते हैं कुछ और
हम क्या हैं, हमें नहीं मालूम
हम अपने से बिलकुल अपरिचित हो गए हैं
मापदंड बनाये हमने अपने आदर्शों के
पूरे नहीं उतरे हम अपनी ही तराजू पर
हम पानी पर तैरते हुए टीन के खाली बंद डब्बे के समान
अन्दर से बिलकुल खोखले हो गए हैं
हे ज्योतिर्मये हम से हमारा साक्षात् करा दो
बहुत है अँधेरा दिया इक जला दो
आत्मा से उदभुद हरेक भाव पढ़ लें
पाठ कोई ऐसा हमको पढ़ा दो
आत्मचिंतन से हम विमुख हो गए हैं
अब हम हम नहीं हैं कुछ और हो गए हैं
मैं बहुत चिंतित हूँ
हम क्या थे
और क्या हो गए हैं
सरल रास्तों पर कहाँ खो गए हैं
गुरुदयाल अग्रवाल
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