मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

अभी तो रात बाकी है

अभी तो रात बाकी है बहुत कुछ बात बाकी है
अभी तो अनवरत देखा है अभी उन्माद बाकी है

चलो पूरी की पूरी लिखें आज प्यार की पोथी
समान्तक की समीक्षा का अभी अनुवाद बाकी है

न तुम कुछ कहो हमसे न हम तुम से कहेंगे कुछ
निश्वासों को अविराम चलने दो जब तक श्वांस बाकी है

कहाँ के प्राण किसके प्राण प्राणों की समस्या क्या
यहाँ हम डूबने बैठे हैं जब तक प्राण बाकी है

प्यार को आवाज दी है तो उठो प्यार अब करलो
देखें कितनी लगन है आज कितना प्यार बाकी है

प्यार मन से धुआं बनकर आँखों से टपकता है
सत्यम शिवम् सुन्दरम बनकर
अभी कर लो मनन
वक्त की सीमा नहीं है अभी तो रात बाकी है

2 टिप्‍पणियां:

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

''कहाँ के प्राण किसके प्राण प्राणों की समस्या क्या
यहाँ हम डूबने बैठे हैं जब तक प्राण बाकी है''

----आपकी ये पक्तियां प्राणान्तक अर्थात अत्यंत मार्मिक प्रतीत हुईं.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

हम तो अनुवाद करने बैठे हैं, बस प्यार की पोथी देना बाकी है :)